“अच्छाऽ पाँच नेत्र!”
“हाँ हाँ पाँच नेत्र!”
“दो तो होते ही हैं, तीन भी देखा-सुना है, पर पाँच पहली बार देख रहा हूँ।”
“मेरे ही घर ऐसा बच्चा क्यों जन्म लिया है स्वामी जी?”
“क्योंकि तुम्हारे ही पिछले जन्म का पाप, पत्तरे में सबसे ऊपर रहा होगा? पर समझ लो!! इसकी छाया तुम्हारे घर के साथ गाँव-क्षेत्र हर जगह पड़ेगी। ध्यान से सुनो! इन पाँचों नेत्रों का अर्थ न समझने पर अनर्थ भी हो सकता है।
“वो कैसे?”
“दो नेत्र तो इंसान को चाहिए ही देखने के लिए। परंतु अगर शिशु तीन नेत्रों के साथ पैदा होता है, तो उसे ईश्वरीय वरदान मान लेते हैं, पर ये पाँच नेत्र! अद्भुत है!”
“अद्भुत! अद्भुत क्यों है स्वामी जी?”
“अद्भुत ही नहीं; ये महाविनाश का द्योतक भी है, इस गाँव का अंत देखने के लिए पंचतत्वों ने शिशु के नेत्रों के रूप में जन्म लिया है, घोर अकाल आने वाला है, सृष्टि का विनाश होने वाला है। ये शिशु बालिका नहीं, देवी है देवी! महादेवी! इसे मनाओ! पूजा करो इसकी! विनती करो! ये अपने नेत्रों को न खोले! नहीं तो….?
इस अद्भुत जन्म के बारे में ही सुनके मैं यहाँ आया हूँ, अब से मेरा पांडाल यहीं आपकी ड्योढ़ी पर लगेगा।”
स्वामीजी के इतना कहते ही, झबरू की झोपड़ी की ड्योढ़ी पर अचानक स्वामीजी की जय-जयकार होने लगी। व्यवस्थापक हरकत में आ गए।
“जय हो देवी माँ की! देवी माँ की जय हो!
देवी को जन्म देने वाली ननमुनिया की जय!!”
कल तक अछूत, ननमुनिया और उसकी नवजात बेटी की जय जयकार हो रही है, जिसके दाएँ कान से बाएँ कान तक पाँच नेत्र ऊपर नीचे उगे हुए हैं, ननमुनिया कराहती हुई, लत्ते में लिपटी मरणासन्न बेटी महात्मा के चरणों में लिटा देती है।
जिज्ञासा सिंह
सुन्दर लघु कथा
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका सर।
हटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 28 अक्टूबर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों में लघुकथा के चयन के लिए आपका बहुत आभार सखी।
हटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 28 अक्टूबर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 28 अक्टूबर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 29 अक्टूबर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंजिज्ञासा तुम्हारी कहानी समाज में व्याप्त अन्धविश्वास पर गहरी चोट करती है.
जवाब देंहटाएंरबीन्द्रनाथ टैगोर की कहानी - 'देबी' एक नन्हीं बालिकावधू को देवी के रूप में स्थापित कर उसके शोषण और उसके दुखद अंत की गाथा है.
सत्यजित रे ने शर्मिला टैगोर को ले कर इस कहानी पर फ़िल्म बनाई थी, उसे तुम ज़रूर देखना.
बहुत सुंदर सलाह। जरूर देखूंगी।
हटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंआपका तहेदिल से आभार।
हटाएंसुन्दर लघु कथा
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका।
हटाएंबेहतरीन गहन लघु कथा
जवाब देंहटाएंबहुत आभार ऋतु जी। स्नेह के लिए आभारी हूं।
हटाएंबहुत आभार आपका।
जवाब देंहटाएंकल तक अछूत, ननमुनिया और उसकी नवजात बेटी की जय जयकार हो रही है,
जवाब देंहटाएंसमाज के कटु सत्य को उकेरती बहुत ही हृदयस्पर्शी लघु कथा ।
कल तक अछूत, ननमुनिया और उसकी नवजात बेटी की जय जयकार हो रही है,
जवाब देंहटाएंसमाज के कटु सत्य को उकेरती बहुत ही हृदयस्पर्शी लघु कथा ।
मार्मिक लघुकथा।
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