"अरे काका ई हमारा बड़का पलंग कहाँ लिए जा रहे हैं? और ई आपके पीछे हमारी आजी का जगन्नाथपुरी वाला गगरुआ लोटा लिए हरखू आ रहे हैं? हमें ज़रा बताओ तो सही, ये आपको किसने दिया? हम अभी घर के अंदर जाकर पूछते हैं।"
बम्बा पे पानी भर रही लालती ने अपने घर से निकलते कन्हाई को दो लोगों के साथ घर का सबसे बड़ा पलंग लादे और पीछे हरखू लोहार को हाथ में लोटा लिए जाते देख, रोष प्रकट करते हुए जब टोंका.. तो उन दोनों ने कहा कि..
“ये तो आपके बापू नए घर की छत पड़ने पर हमें सरिया कटाई का इनाम दिए हैं बिटिया।”
लालती ने बाल्टी उठाई और घर की देहरी से ही "बापू-अम्मा" चिल्लाते हुए गुहार लगाने लगी, सामने खड़ी अम्मा ने अपना हाथ होठों पे रखते हुए चुप होने का इशारा किया।ये देख वो और भी ज़ोर-ज़ोर से बोलने लगी।
"देखो अम्मा सब कुछ दान कर दे रहे ये बापू, आज नानी का दिया बड़का पलंग और आजी का लोटा गया। कल बुधई पंडित बड़की परात लिए जा रहे थे और बरेठा बाबा खोपड़ी पर बूढ़े बाबा वाली कुर्सी लादे हुए गए हैं आज सुबह, परसों तौ नन्हकू कहांर पानी भराई बाल्टी ले ही गए हैं, और ऊ जमुई बारी को कुछ नही दे पाए बापू तौ शीशम की बनी, आले में रक्खी खूंटी ही दान कर दिए। अम्मा जान लो बापू एक दिन घर बनवाई हमको तुमको भी दान कर देंगे।"
बेटी के पीछे खड़े शिव बरन मुस्करा रहे थे। उसको गले से लगाया और बोले..
“बिटिया इतना बड़ा घर अपने गाँव में हम बना लिए है, ई गृहस्थी का चीज है, फिर बना लेंगे। ये हमारे कामगार हैं, इनके “आशीर्वाद” से कोई कमी नहीं होती जीवन में, बड़ी होगी तब समझोगी इन बातों का अर्थ।”
"हाँ-हाँ आप हम लोगों को भी दान कर दीजिए न बापू।"
"अरे बिटिया.. ई का कह रही? ग़रीबों को देने से कभी कमी नहीं पड़ती घर में, भगवान चार गुना देते हैं।"
आज बरसों बाद सुख-सुविधा से संपन्न, बिस्तर पर लेटी लालती को बापू की कही हर बात याद आ रही है और आँखों से आँसू लुढ़क-लुढ़क गालों को सहलाते हुए बह रहे हैं।
सामने खड़ी सेविका समझा रही है, मेमसाहब सबके बाप को एक न एक दिन इस दुनिया से जाना होता है, फिर आपके बापू तो नब्बे बरस से ऊपर के थे, भरे-पूरे परिवार और हँसते-खेलते बच्चों को छोड़कर गए हैं।
**जिज्ञासा सिंह**
सही कहा जिज्ञासा दी कि दुआओ में आशीर्वाद में बहुत ताकद होती है। गरीबों को देने से कम नहीं होता।
जवाब देंहटाएंसुंदर सरस प्रतिक्रिया के लिए आपका आभार ज्योति की !
हटाएंसही कहा जिज्ञासा जी दुनियां की सबसे बड़ी दौलत बङों का आशीर्वाद है ... किसी को कुछ देने से कभी कुछ कम नहीं होता
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार ऋतु जी ।
हटाएंकथा को सार्थकता प्रदान करती सुंदर प्रतिक्रिया, आपका आभार!
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रतिक्रिया ने रचना को सार्थक कर दिया ।
हटाएंदान से बरक्कत होती है।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका।
हटाएंपीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होते संस्कारों पर सुन्दर सार्थक कथा ।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार मीना जी ।
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