“मैम !
आप नहीं गईं मेडिकल कॉलेज.. गीता मैम को देखने.. सारी टीचर्स गयी हैं आज ।”
जूनियर टीचर शैली ने प्रिन्सिपल मैम से बड़े स्नेह से पूँछा ।
“अरे इसमें देखने वाली क्या बात है ?”
“क्यों मैम बीमारी की स्थिति में तो देखने जाना चाहिए न ? बस एक आप ही हैं, जो कह रही हैं.. कि देखने क्या जाना ? ऐसा क्यों मैम ? गीता मैम स्कूल की इतनी पुरानी और आपकी चहेती टीचर हैं, ऊपर से आपसे इतने अच्छे संबंध ।आजकल तो सभी लोग अपने बीमार मित्र या रिश्तेदार को देखने जाते है, क्या आपकी उनसे किसी बात पे नाराज़गी है क्या ?”
“नहीं शैली ! नाराज़गी की तो कोई बात नहीं मैं इसीलिए नहीं जा रही कि वो मेरी अज़ीज़, चहेती टीचर है, उसे दिखावे के लिए, देखने क्या जाना ..?”
..सोचती हूँ,जाने से पहले छुट्टी लूँ कम से कम एक हफ़्ते की, कुछ पैसे निकालूँ बैंक से, उसकी सेहत के लिए कुछ बनाऊँ अपने हाथों से.. फिर जाऊ उसके पास । देखने नहीं.. उसकी सेवा करने.. खिला-पिला के सेहतमंद करने और तुम तो जानती ही हो, कि उस बेचारी के ख़ुद के अलावा कोई कमाने वाला नहीं है । इस समय उसे पैसे की बहुत ज़रूरत होगी, हो सकेगा तो लौटते वक्त कुछ पैसे भी उसके हाथ में रख दूँगी ।”
“ओह तो ये बात है..” शैली अचरज में भर गई ।
प्रिन्सिपल ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए, जारी रखी.
“शैली हमें किसी के दुःख में “ख़ानापूर्ति” करने के बजाय तन-मन-धन से दर्द का हिस्सेदार बनने की कोशिश करनी चाहिए.. बीमारी में हर रोगी को प्रेम, सहानुभूति और सेवा सुश्रूषा की ज़रूरत होती है ?”
**जिज्ञासा सिंह**
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआपकी उपस्थिति और प्रशंसा का हार्दिक स्वागत करती हूं। आभार मोनिका जी ।
हटाएंबहुत अच्छी लघुकथा जिज्ञासा !
जवाब देंहटाएंहाथी के ऊपरी दांतों की तरह दिखावे की हमदर्दी किसी के काम नहीं आती और असली हमदर्द कभी हमदर्दी का दिखावा नहीं करता.
आपकी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हमेशा नव लेखन की प्रेरणा देती है नमन आदरणीय सर।
हटाएंआपकी लिखी रचना सोमवार 5 दिसंबर 2022 को
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
लघुकथा के चयन के लिए आपका आभार आदरणीय दीदी ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया.लोग अक्सर औपचारिकता निभाने ही जाते हैं. न जाएं तब सुनना पड़ता है कि देखो वह देखने तक नहीं आया..पर सच है कि देखने जाने और असल सेवा में बहुत अन्तर है.
जवाब देंहटाएंआज के समय का दर्द है। सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंप्रेरक लघुकथा
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और प्रेरक लघुकथा ।
जवाब देंहटाएंबहुत सही सन्देश देती रचना !
जवाब देंहटाएंव्वाहहहहहहह
जवाब देंहटाएंसीख देती कथा
आभार
सादर
यह विचार यों ही हृदय में फलता-फूलता रहे।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
सही संदेश देने वाली कहानी।
जवाब देंहटाएंबीमार को देखने नहीं, उसकी देखभाल और मदद करने की मंशा से जाना चाहिए। वरना देखना, ना देखना एक सा ही है।
बहुत सुन्दर संदेशप्रद लघुकथा
जवाब देंहटाएंसही कहा देखने जाने की औपचारिकता निभा रहे हैं आजकल सब।
सही कहा देखने जाने की औपचारिकता निभा रहे आजकल सब । ऐसे में बीमार के लिए और घरवालों के लिए मेहमानदारी की मुसीबत ।
जवाब देंहटाएंसेवाभाव से देखने जायें तो बात कुछ और ही हो ।
सुंदर संदेशप्रद लाजवाब लघुकथा