व्यवहार

“पापा ये बाबा तो हर वक्त गाली ही देते रहते हैं..जब इनके पास आओ या बग़ल से गुजरो..ये अपनी छड़ी पटकते हैं और कुछ न कुछ बड़बड़ाने लगते हैं और आप कहते हैं कि मुझे इनके पास बैठना चाहिए, समय बिताना चाहिए.. सम्मान करना चाहिए..आदर करना चाहिए ।”

“अब आप ही बताइए भला ऐसे में कोई इनके साथ ज़्यादा देर तक तो नहीं बैठ सकता न.. मैं बाबा के काम कर दूँगा पर उनके साथ बैठना मुझसे न होगा न ।”

“हाँ दादी के तो मैं सारे काम भी कर दूँगा, बैठूँगा उनके पास, बात भी करूँगा, पैर तो मैं उनके दबाता ही हूँ जब वो कहती हैं ।”

“अरे बेटा बड़े बुज़ुर्ग ऐसे ही होते हैं, छोटों को ही उनके साथ सामंजस्य बैठना पड़ता है ।” राघव ने बेटे को समझाते हुए कहा..।”

“ये तो ठीक है पापा पर बिना गल्ती के बार बार गाली..मुझसे नहीं होगा..पापा..कह रहा हूँ..।”

“अर्रे उनकी उम्र हो गई बेटा जी..कुछ तो समझिए..।”

“पापा.. ये उम्र बढ़ने का क्या मतलब ? उम्र बढ़ने से तो मैं उन्हें सम्मान दे सकता हूँ पर आदर तो दादी के ही हिस्से में जाएगा क्योंकि दादी बुज़ुर्ग होने के साथ-साथ मुझसे अच्छा “व्यवहार” भी करना जानती हैं ।”

बेटा बड़ा हो रहा है.. राघव समझ चुके थे ॥

**जिज्ञासा सिंह**

21 टिप्‍पणियां:

  1. बड़े-बूढ़े, अपने बच्चों से सम्मान पाने के तभी हक़दार होते हैं जब उनका आचरण उनकी आयु के और उनके ओहदे के, अनुरूप सम्मानजनक होता है.

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    1. रचना के मर्म तक पहुंच सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आपका आभार आदरणीय सर ।

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (03-08-2022) को   "नागपञ्चमी आज भी, श्रद्धा का आधार"  (चर्चा अंक-4510)    पर भी होगी।
    --
    कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  

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    1. चर्चा मंच में रचना को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार और अभिनंदन आदरणीय शास्त्री जी। मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।

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  3. व्यवहार से ही आदर पाया जा सकता है।
    बच्चे सब समझते हैं। बहुत अच्छी कथा।
    सादर

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  4. रचना के मर्म तक पहुंच सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आपका आभार अपर्णा जी ।

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  5. अच्छा व्यवहार ही दूसरे को आकर्षित कर सकता है । बुजुर्गों को भी बच्चों से यदि आदर , सम्मान पाना है तो उनको भी स्नेह और अच्छा व्यवहार देना चाहिए । प्रेरक लघुकथा ।

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  6. आपकी प्रेरक टिप्पणियां हमेशा रचना का सटीक विश्लेषण कर मनोबल बढ़ाती हैं, नमन और वंदन दीदी ।

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  7. ब्लॉग पर आपकी उपस्थिति का हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है । सराहना संपन्न प्रतिक्रिया के लिए आपका आभार।

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  8. आपकी लिखी रचना सोमवार 17 अक्टूबर 2022 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

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  9. आपकी लिखी रचना सोमवार 17 अक्टूबर 2022 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  10. आपकी लिखी रचना सोमवार 17 अक्टूबर 2022 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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    धन्यवाद।

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  11. आपकी लिखी रचना सोमवार 17 अक्टूबर 2022 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

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  12. सहृदयता ही अपनत्व का भाव जगाती है ।बहुत सुन्दर प्रेरक लघुकथा ।

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  13. व्यवहार से ही सम्मान या तिरस्कार मिलता है उम्र चाहे कोई भी हो।
    यथार्थ वादी कथा।
    सच का आईना।
    सस्नेह जिज्ञासा जी।

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  14. पापा.. ये उम्र बढ़ने का क्या मतलब ? उम्र बढ़ने से तो मैं उन्हें सम्मान दे सकता हूँ पर आदर तो दादी के ही हिस्से में जाएगा क्योंकि दादी बुज़ुर्ग होने के साथ-साथ मुझसे अच्छा “व्यवहार” भी करना जानती हैं ।”

    बहुत खूब, व्यवहार ही तो है जो सम्मान दिलाता है।सीख देती सुन्दर लघुकथा जिज्ञासा जी 🙏

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  15. व्यवहार से ही आदर सम्मान कमाया जाता है ऐसे बहुत से बुजुर्ग होते हैं जो अपने जीवन भर के ओहदे और धन के घमंड में अपने व्यवहार पर ध्यान नहीं देते...फिर नहीं पीढ़ी को कोसते हैं ।
    बहुत सुन्दर संदेशप्रद एवं सटीक सृजन।

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  16. विचारणीय तथ्य!
    सम्मान पाने के लिए स्वयं को उस योग्य रहना जरूरी है ुु
    । सिर्फ उम्र से सम्मान आज का युवा वर्ग नहीं दे सकता।
    सटीक यथार्थ।
    सुंदर कथा।

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  17. अद्भुत जिज्ञासा जी ... बहुत सुन्दर! बच्चों की सूझबूझ कमतर नहीं होती।

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