गणतंत्र दिवस की वो प्रभातफेरी जो भुलाए नहीं भूलती

     सर्दी के मौसम में सारे बच्चे सुबह सुबह नहा धोकर तैयार हैं , छोटी बुआ, चाचा, बड़े भैया, दीदी एवं गाँव के अनेकानेक बालवृंद इस ख़ुशी में फूले नहीं समा रहे, कि आज छब्बीस जनवरी है और हम सब लोग अपने गुरुजनों के साथ प्रभात फेरी के लिए कई गाँवों,मुहल्लों तथा बहुत सारे प्रतिष्ठित लोगों के यहाँ जाएँगे और देशभक्ति के गीत गाते हुए लोगों के घरों में तरह तरह की चीजें खाएँगे ।कुछ लोग जलेबियाँ, कुछ बताशे, कुछ लड्डू, कुछ समोसे तथा कुछ लोग अन्य मिठाइयाँ बँटवाते थे ।मेरे बाबाजी ज़्यादातर पूड़ी और सब्ज़ी खिलवाते थे ,वो कहते थे, कि कहीं समोसा जलेबी से पेट भरता है भला, मास्टर, मुंशी सब भूखे होंगे, और ये बालवृंद तो ख़ुशी के मारे सुबह से कुछ खाए ही नहीं होंगे, अतः ऐसा करो कुछ ठोस खिलाओ जिससे सबका पेट भर जाय, उनका आदेश मिलते ही मेरे घर की दादी,ताई, चाची, सब जुट कर फटाफट सौ लोगों के लिए भोजन, बतियाते बतियाते तैयार कर देती थीं । इधर घर में सब तैयारी चल रही है, उधर दरवाज़े पे बड़े बाबा,छोटे बाबा कई पड़ोसियों के साथ कुर्सी मेज़ सजाए ,आती हुई प्रभात फेरी का इंतज़ार कर रहे हैं ।
        धीरे धीरे बच्चों की टोली की आवाज़ में देशभक्ति के तराने मेरे घर के दरवाज़े पे गूंजने लगते हैं और घर में हलचल सी मच जाती है, मैं नन्ही सी बच्ची नन्हें नन्हें पाँवों से दौड़कर अपने परबाबा के घुटनों में चिपक कर सारे बच्चों, गुरुजनों तथा अपने परिजनों के साथ अपनी मीठी, तोतली ज़ुबान में होंठ हिलाते हुए गाने लगती हूँ और दादी,ताई,माँ,चाची सभी घर के बरामदे में झाँकती हुई हमारा साथ दे रही होती हैं ।

            " वीर तुम बढ़े चलो ।
             धीर तुम बढ़े चलो ।।"

       थोड़ी देर में बाबाजी राष्ट्र्गान गाते हैं और हम सब उनका साथ देते हैं, फिर पँगत लग जाती है, और सब भोजन करते हैं,जलेबियाँ खाते हैं,ताऊजी सभी गुरुजनों को पान खिलाते हैं तथा सब एक दूसरे को गणतंत्र दिवस की बधाई देते हैं और फिर एक बार मेरे सारे भैया दीदी अपने गुरुजनों के साथ देशभक्ति के नारे लगाने लगते हैं  ।

               भारत माता की जय ।
              भारत माता की जय।।

        और फिर ये सुंदर कारवाँ तिरंगा थामे, देशभक्ति का नया तराना गाते हुए, शनैः शनैः मेरी आँखों से ओझल होता हुआ कहीं बहुत दूर चला जाता है जिसे अपलक मेरी आँखें आज तक ढूँढ रही हैं और मुझे वो दिखाई नहीं देता ।शायद देशभक्ति का वो मनोरम दृश्य मैं फिर कभी नहीं देख पाऊँगी ।

                            **जिज्ञासा सिंह**