दवा की दुइ टिक्की

       मंगरू आज फिर गिरता संभलता दोस्तों के सहारे किसी तरह घर पहुँचा ।
       दुलारी उसे देखते ही उसको और उसके दोस्तों को पानी पी पी कर श्राप देने लगी । उसके बच्चे आँख  मींजते अपने अपने बिछौने में उठकर बैठ गए, मंगरू को लिटाकर सारे दोस्त दुलारी से मंगरू को संभालने का इशारा करते हुए एक एक कर घर से निकल गए ।
बचा मंगरू ।
उसने जेब से बोतल निकाली, दो घूँट मारी और बड़बड़ाने लगा । साथ ही झोपड़ी के कोने में उल्टियाँ भी करता जा रहा । पीछे से दुलारी झाड़ू से पति को मार रही । सब बच्चे चिल्ला रहे बाप के ऊपर । अरे गंदगी कर रहा है..पापा गंदगी कर रहा है.. । हम कैसे सोएंगे ? उसी चिल्ल पों के बीच मंगरू दुलारी को बाल पकड़ जमीन पर गिरा देता है, वो ऐं ऐं.. मार डाला..मार डाला.. चिल्लाती है, और १०..१५ मिनट तक ऐसे ही शोर चलता है, थोड़ी देर बाद सारा मामला शांत हो जाता है ।
  सुबह एक कबाड़ीवाला झोपड़ी के सामने खड़ा है और दुलारी एक बोरी में भरी हुई, ढेर सारी खाली बोतलों का सौदा कर रही है ।
   आँख मिलते ही कहती है, जो कुछ भी मिल जाय, साहब.. ललिया बीमार है न.. दवा की दुइ टिक्की ही लै लूँगी । 

**जिज्ञासा सिंह**

तीक्ष्ण दृष्टि

शांता एक वीडियो दिखाने के लिए घर के सभी सदस्यों को बुलाती है, और कहती है, देखो ये रहा वो वीडियो, जो कल वायरल हुआ है, वीडियो में एक लड़की पुलिसवाले से मोबाइल छीनते हुए गाली गलौज कर रही है, और सौ तमाशबीन उसे घेरे खड़े हैं । लड़की नशे में धुत है, और बार बार लड़खड़ा रही है, कई लोग उसे समझा रहे हैं ।
    यहाँ घर में,कांता के मोबाइल में भी आठ आँखें बड़े गौर से उस वीडियो को देखने में व्यस्त हैं ।
   वीडियो का अंत होते होते पिता जी के मुख से निकल ही गया, कि इसीलिए लड़कियों को बाहर भेजने में डर लगता है।
अब तो हम अपनी सोना को क्या ही बाहर पढ़ाएंगे ?
 शांता अवाक और स्तब्ध रह गई ।

**जिज्ञासा सिंह**