माँ के नाम एक पत्र

प्यारी माँ,
      प्रणाम !
कैसी हैं आप ? सोचती तो थी कि आपको एक चिट्ठी लिखूँ । पर समझ न आया क्यों ? कब और क्या लिखूँ?
  अब मौका मिला है, तो लिख रही हूँ । आपको ये पत्र । आशा है, ये पत्र और उसमे लिखी मेरे बचपन की एक कविता भी जो कि नीचे लिखूँगी, आपको मेरी मन की अपरिमित गहराइयों में ले जाएगी और आपको समझना पड़ेगा कि एक नन्हें बच्चे को छोड़कर माएँ ऐसे नहीं जाया करतीं।
   आपको शायद पता न हो पर एक माँ के न होने का एक बच्चे को, आजीवन एक अनजाना दंश झेलना पड़ता है, जो कि वो स्वयं भी नहीं जानता कि उसके साथ ऐसा क्यों हो रहा है ? वो तो निश्छल है, जल की तरह निर्मल है ।
  फिर क्यूँ ये द्वंद, ये दंश उसे पल पल इस निर्मम संसार में झेलने पड़ते हैं । जो शायद उसे जब तक जीवन है, तब तक ऐसे ही झेलना पड़ता है । ऐसे में आप का मुझे यूँ छोड़कर जाना मुझे कभी दुख, कभी गुस्सा दे गया ।
    सच्ची माँ अब तो बहुत कुछ सीख गई हूँ, उम्र ने जीना सिखा दिया है तुम्हारे बिना भी ।
अब किसी परछाईं का पीछा नहीं करती । जब पीछा नहीं करती तो परछाइयाँ मुझे धोखा भी नहीं दे पातीं। आप निश्चिंत रहिए । मैं आपकी ही तरह धीर गंभीर हूँ, धैर्यवान हूँ, ऐसा मैं नहीं, सभी कहते हैं कि मैं आपकी ही परछाई हूँ, हूबहू। अब कोई गुस्सा नही है आपसे । जीवन अच्छा लग रहा है ।
अब तो आपकी पुरानी किताबें भी अक्सर पढ़ती हूँ, कि उनके बीच शायद आपने मेरे लिए कोई चिट्ठी छोड़ी हो । पर वो मिली नहीं अभी तक । हाँ आप तो अचानक चली गई थीं ।
       जहाँ कहीं भी हो आप अपना ख्याल रखिए। हाँ ये कविता जरूर पढ़िएगा । जिसे मैंने काफी समय पहले आपके लिए आपकी याद में लिखी थी...

बचपन की आस । मेरी भी होती माँ काश ।।
माँगती गुड़िया व कार । सपनों से भरा संसार ।
वे कहतीं अरी वो नटखट । तू कितनी भोली है चल हट ।।
क्या संसार इतना छोटा है । वो तो भैंसे सा मोटा है ।।
वहाँ बहुत बड़ा सागर है । तेरी तो छोटी सी गागर है ।।
कैसे भरेगी इतना पानी। गागर फूटी तो रूठ जाएँगी नानी ।।
वो रूठी तो कहानी कौन सुनाएगा?पारियों का राजा आएगा।
डोली सजाएगा । सागर पार संसार ले जाएगा ।।
वहाँ होगी जब रात । तुझे आएगी माँ की याद ।
कौन सुनाएगा लोरी । दूध से भरी कटोरी ।।
तुझे नींद नही आएगी । आँखों में रात बीत जाएगी ।।
हो जाएगी भोर । नाच उठेगा मोर ।।
इतने में मैं उठी झनझना ।टूट चुका था मेरा सपना ।।
काश कि ये सपना फिर आए । भ्रम में जीवन बीत जाए ।।
 
                       आपकी दुलारी बेटी
                             गुड़िया
                             लखनऊ
                          ७/५/२०२२

14 टिप्‍पणियां:

  1. माँ के लिए सच्चे प्यार से भरी पाती !

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  2. दिल की गहराई से निकली बात।

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  3. आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय दीदी ।

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  4. हृदय स्पर्शी सच्चे उदगार एक मातृ विहिन बच्ची की कलम से,जो अब परिपक्व है पर कहीं एक आस सदा हृदय में घुमड़ती रहती है।

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  5. बहुत बहुत आभार कुसुम जी ।आपकी सार्थक प्रतिक्रिया का हमेशा इंतजार रहता है, स्नेह बनाएं रक्खें ।

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  6. माँ के लिए बहुत ही हृदयस्पर्शी उद्गार...
    दिल को छूकर आँखें नम कर गयी ये पाती
    बहुत ही सुन्दर।

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  7. माँ स्मृतियों में भी साथ ही होती है ... बहुत भावपूर्ण ...

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  8. प्रिय जिज्ञासा जी,एक भावपूर्ण अभिव्यक्ति जो मन को सहमा गयी।यूँ तो, मार्गदर्शन के लिये,माँ का साथ हर बच्चे को हर हाल में चाहिये,पर एक अबोध बालिका के लिए नियति का कठोर प्रहार बहुत घातक और असहनीय है।मातृविहिना पुत्री का दिवन्गता जननी से अत्यंत मर्मांतक संवाद आँखों को नम कर गया।काव्य रचना ने भीतर तक हृदय को बींध दिया।निशब्द हूँ ।ना जाने कैसे एक व्याकुल-विकल बालक का माँ के बिना बचपन कैसे गुजरता होगा,हम लोग तो इस उम्र में भी माँ को खोने से डरते हैं।☹🙁🙁🙁

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  9. मन में बसती आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया ने अभिभूत कर दिया । बहुत बहुत आभार आपका प्रिय सखी ।

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