रामबाबू भी जल्दी से आए और आँख फाड़के अखबार में झांकने लगे, कहाँ कहाँ कहते हुए ? आखिर कांति उनकी चचेरी बहन है और ननकई उनकी भांजी।
विमला ने पट्ट उंगली रख फोटो दिखा दी और अपनी विश्वविजयी कहानी भी सुना दी कि याद है न कैसे कांति एक दिन हमारे पास इसी बिटिया के समय लिंग पता करने आई थी कि लड़का होगा तभी इसे जन्मेंगे नहीं तो गर्भपात करा देंगे, काहे से उसके पहले से तीन बिटिया हैं, सास ससुर बोली मारते हैं, आदमी भी उसका कोई कम नहीं था । तब हम्ही उसको समझाए थे कि बच्चा चार महीने का है, मर जाओगी गर्भपात कराके। अब चाहे लड़की है या लड़का संतोष करो । लड़की लड़का से कम नहीं होती। अब देखो दोनो माँ बाप मुख्यमंत्री के बगल खड़े कैसे फोटो खिंचा रहे ? आख़िर बिटिया नाम रोशन कर दी न।
रामबाबू से न रहा गया कहने लगे अरे कांति का नम्बर है हमारे पास । तनिक फोन करो । विमला ने भी देर न करते हुए फोन लगा दिया उधर से फोन उठते ही कांति तो लगा जैसे खुशी के मारे फूट पड़ेगी । बोली "जिज्जी सवेरे से ई पचासवां फोन है, सब ननकई को बधाई दे रहे । हमरा तो गोड़े जमीन पर नाई है, तुमका जल्दी मिठाई खवइबे ।
मुखमंत्री जी हमहू का "पहचान" गए और बधाई दिए रहें, हमसे कहें कि सब तुमरी मेहनत का नतीजा है बिटिया डी यम की नौकरी पाई है। हमार दिन बहुर गै जिज्जी" । विमला को कांति की मेहनत याद आते ही हँसी फूट गई । उसने रामबाबू की तरफ़ आश्चर्य से देखा, रामबाबू ने फ़ोन ले लिया और बधाई देकर फोन रख दिया ।
**जिज्ञासा सिंह**
प्रिय जिज्ञासा जी, गर्भ में मासूम अजन्मी बेटियों की हत्या कराने वालों को सबक है इस तरह के उद्धरण!! जिनक आशा हम बेटों से करते हैं वही उपलब्धियां बेटियां भी हासिल कर सकती हैं। समाज में ऐसे प्रसंग आए दिन समाचार पत्रों। और सोशल मीडिया पर पढ़ने को मिलते रहते हैं। और यदि किसी अजन्मी जान का संरक्षण कोई करले और वो इतना बड़ा दिन दिखाए तो निश्चित रूप से गर्व की जो अनुभूति होती होगी, वह शब्दों में नहीं लिखी जाती। बहुत प्रेरक प्रसंग पर आधारित लधु कथा के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामना।
जवाब देंहटाएंये शानदार समीक्षात्मक प्रतिक्रिया मेरे अगले सृजन का आधार बनेगी । आपका बहुत बहुत आभार रेणु जी ।सादर नमन ।
हटाएं*जिनकी आशा
जवाब देंहटाएंकन्या-भ्रूण हत्या हमारे समाज का सबसे बड़ा कलंक है.
जवाब देंहटाएंइसका कुरीति का उन्मूलन किए बिना हम कभी उन्नति नहीं कर सकेंगे.
बहुत बहुत आभार आदरणीय सर ।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (20-10-2021) को चर्चा मंच "शरदपूर्णिमा पर्व" (चर्चा अंक-4223) पर भी होगी!
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।--शरद पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आदरणीय शास्त्री जी,
हटाएंआपको मेरा सादर प्रणाम !
मेरी रचना को चर्चा मंच में चयनित करने के लिए आपका कोटि कोटि आभार और अभिनंदन । बहुत बहुत शुभकामनाएं ।
बहुत ही सारगर्भित एवं सार्थक लघुकथा लिखी है आपने जिज्ञासा जी ! जिस पुत्री को भ्रूण में ही मिटाना चाहा उसने तो नाम रोशन कर दिया...
जवाब देंहटाएंलाजवाब लघुकथा हेतु बहुत बहुत बधाई आपको।
सुधा जी, कहानियां मैं बचपन से लिखती थी,परंतु यहां ब्लॉग पर डालने में लगता है कि ये खरी उतरेगी कि नहीं,पर आप सबके स्नेह से हौसला मिल रहा है, आपका बहुत बहुत आभार व्यक्त करती हूं । आपको मेरा सादर नमन ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत सृजन प्रिय जिज्ञासा । सही है बेटियाँँ तो घर की रौनक होती है ।पता नहीं समाज की ये सोच कब बदलेगी ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार शुभा जी,प्रशंसा के लिए बहुत सादर नमन एवम वंदन ।
हटाएंएक ज्वलंत मुद्दा !पर आगे के कथा के विचारों से सकारात्मक संदेश ,काश कन्या भ्रूण को नष्ट करने से पहले ये कथा पढ़ लें लोग।
जवाब देंहटाएंजिज्ञासा जी सार्थक मुद्दा।
साधुवाद।
ब्लॉग पर आपकी उपस्थिति बहुत खुशी दे गई । और प्रशंसा तो अगले सृजन की प्रेरणा दे गई । आपका बहुत बहुत आभार ।
जवाब देंहटाएंएक सामाजिक ज्वलंत मुद्दे पर अति उत्तम सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार अनीता जी, मेरे इस ब्लॉग पर आपका स्नेह मेरे लिए प्रेरणा है।
हटाएंबहुत सुंदर शिक्षा देती लघु-कथा।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार विकास जी ।
हटाएंmera bhi ek blog hain jis par main hindi ki kahani dalti hun pleas wahan bhi aap sabhi visit kare - Hindi Story
जवाब देंहटाएंकन्याभ्रूण हत्या पर बहुत सुंदर लघुकथा।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार ज्योति जी ।
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